पुन र्जागरण काल Renaissance Period
तेरहवी से सत्रहवीं शताब्दी (1250 से 1750 ईस्वी) के काल को पुनर्जागरण काल माना जाता है। अंधकार युग के बाद भूगोल में पुनर्जागरण काल वह दौर आया जब भौगोलिक खोज, अन्वेषण फिर से प्रारम्भ हुये।
पुनर्जागरण काल के पहले का दौर का समय जिसे अंधकार युग कहा गया, यह काल तीसरी से बारहवीं शताब्दी 300 से 1200 ईस्वी तक रहा। अंधकार युग में लगभग सभी प्रकार की खोजे, शोध कार्य बंद हो गये, इनका स्थान धार्मिक आडम्बरों ने ले लिया। इसाई धर्मावलंबी देशों, विशेषकर यूरोपीय देशों में इसका विशेष प्रभाव नजर आया, ईसाई पादरियों ने एक तरिके से धर्म की सत्ता स्थापित हो गई। इसको एक उदाहरण के द्वारा समझा जा सकता है। यदि कोई भी व्यक्ति किसी तरह का कोई भी अपराध कर दे तो वह चर्च में जाकर पादरी को पैसे देकर क्षमापत्र खरीद लेता है तो उसके सारे पाप धुल जायेगे। आदि ऐसे अनेक धार्मिक बुराईया समाज व राष्ट्र में चारों और व्याप्त हो गई। मुल रुप से अंधकार युग का मुल कारण रोमन साम्राज्य के पत्तन को माना जाता है
पुनर्जागरण काल ही वह काल था जब भौगोलिक खोजे धीरे-धीरे फिर से प्रारम्भ हुई, नई महाद्वीपों, द्वीपों खोजे गये, व्यापारिक मार्गो का प्रसार हुआ एक महाद्वीप का दूसरे महाद्वीप से सम्पर्क स्थापित होने लगा, अनेक विद्वानों ने दूसरे महाद्वीपों में जाकर सम्पर्क स्थापित किया तथा ज्ञान का प्रसार हुआ आदि ऐसे अनेक कार्य प्रारम्भ हुये। अन्ततः समय के साथ अंधकार युग के बादल छटने लगे।
पुनर्जागरण काल के दौरान अनेक विद्वान व खोजी यात्री हुये जिन्होने नये महाद्वीपों की खोज की तथा अनेक यात्रावृत्तांतो लिखे गये। इनमें प्रमुख मार्कोपोलो, कोलंबस, वासको डी गामा आदि प्रमुख थे।
मार्कोपोलो- ये वेनिस शहर का रहने वाला था इसने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की जिनमें सोवियत संघ, मंगोलिया, चीन, जिनमें कोरियाई क्षेत्र, पश्चिमी एवं पूर्वी एशिया शामिल है इसने अपनी सम्पूर्ण यात्रा वृत्तात का उल्लेख अपनी पुस्तक ट्रेव्लस ऑफ मार्कोपोलो में किया।
किस्टोफर कोलम्बस- यह भी एक खोजी यात्री था जिसने भारत की खोज करने के लिए यूरोप की पश्चिम दिशा की और से समुद्री मार्ग से यात्रा प्रारम्भ की थी किंतु टॉलेमी की गणितीय अशुद्धियों के कारण यह 1492 में अमेरिका जा पहुॅचा जिसे कोलम्बस ने नई दुनिया नाम दिया।
वास्को-डी-गामा- यह पुर्तगाली निवासी था यह भी एक खोजी यात्री था यह केप ऑफ गुड होप होते हुये सन 1498 में भारत के पश्चिम में स्थित कालिकट बंदरगाह पर पहुॅचा यह प्रथम पुर्तगाली यात्री था जिसने भारत की खोज की।
फर्डिनेण्ड मेगेलन- यह गुर्तगाल का निवासी था इसने सम्पूर्ण संसार का चक्कर लगाया तथा नौसंचालन द्वारा भारत पहुॅचने वाला प्रथम यात्री था।
कैपटन कुक- यह अग्रेजी सेना में एक अधिकारी था जिसने आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तथा अनेक द्वीपों की खोज का श्रेय प्राप्त है।
पुनर्जा्रगरण काल के दौरान अनेक आष्किरक हुये जिन्होने अनेक वैज्ञानिक आविष्कार किये जो मानव सभ्यता को अपने आप में अनुपम देन है।
कोपरनिकस-
ये पौलेड के रहने वाले थे, कोपरनिकस ने बताया की पृथ्वी तथा अन्य सभी ग्रह सूर्य के चारों और चक्कर लगाते है। इन्होने सुर्य को ब्रह्ममंड के मध्य मे माना है।
केपलर- जर्मनी का रहने वाला था यह खगोलीय शास्त्री व गणितीय भूगोल का अच्छा ज्ञाता था। इन्होने बताया की ग्रहों का परिभ्रमण पथ गोलकार नही बल्कि अंडाकार है।
गोहम ने सर्वप्रथम 1492 में ग्लोब का निर्माण किया।
न्युटन ने 1686 में गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
पुन जार्गरण काल के प्रमुख भूगोलवेत्ता
(1) फिलिप क्लुवेरियस (Phillip Cluverius 1580-1622)
फिलिप क्लुवेरियस जर्मनी का रहने वाला था, जिसने भूगोल के विकास में अहम योगदान दिया का यह एक सैनिक होने के कारण अधिकतर सैनिक अभियानों में व्यस्त था तथा अपने अभियानों के द्वारा ही अनेक क्षेत्रों की यात्रा की इसमें यूरोप पश्चिमी एशिया व अनेक द्वीप समुहो की यात्रा की तथा प्रकृति के प्रति दृढ लगाव के कारण ही इसने अनेक भौगोलिक खोजे की जिसका उल्लेख इसने अपनी पुस्तक (An Introduction to Universal Geography) में किया। यह पुस्तक लैटिन भाषा में है जिसका अग्रेजी अनुवाद किया गया है।
(2) बर्नहार्ड वारेनियस (Bernhard Varenius 1622-1650)
जर्मनी का एक महान भूगोलवेता था इसने बहुत कम उम्र में ही अनेक विषयों जिनमें आयुर्विज्ञान, खगोल शास्त्र, भौतिक, गणित, इतिहास आदि विषयों में अध्ययन पुर्ण कर लिया था। वारेनियस की रुची मूल रुप से भूगोल विषय होने का प्रमाण इनकी रचनाओं में स्पष्ट देखने को मिलता है।
प्रमुख ग्रंथ
1. सामान्य भूगोल (Geographia Generalis)
2. जापान और स्याम (थाइलैण्ड) का भौगोलिक वर्णन (1650)
- वारेनियस प्रथम भूगोलवेत्ता था जिसने क्रमबद्ध व प्रादेशिक भूगोल में द्वैतवाद की नीव रखी।
- वारेनियस ने ही सर्वप्रथम भौतिक भूगोल व मानव भूगोल के मध्य अतंर स्पष्ट किया।
- वारेनियस को क्रमबद्ध भूगोल का जनक माना जाता है।
- वारेनियस प्रथम भूगोलवेत्ता था जिसने क्रमबद्ध व प्रादेशिक भूगोल में द्वैतवाद की नीव रखी।
- वारेनियस ने ही सर्वपगथम भौतिम भूगोल व मानव भूगोल के मध्य अतंर स्पष्ट किया।
वारेनियस ने भूगोल को निम्न तीन भागों में विभक्त किया।
- सापेक्षिक (Relative) इसमें पृथ्वी का अन्य ग्रहो से संबंध बताया है तथा पृथ्वी सूर्य चन्द्रमा की गतियों के बारे में वर्णन किया गया है।
- निरपेक्ष या सार्वभौम (Absolute) इसमें पृथ्वी के आकार विस्तार तथा पृथ्वी के स्लरुपों का वर्णन किया गया है।
- तुलनात्म (Comparative) इसमेंं पृथ्वी का सामान्य वर्णीकरण किया गया है, इसमें भौतिक ईकाइयों पर्वत पठार मैदान खाड़िया व नौसंचालन के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।
18वीं शताब्दी में भूगोल का विकास
18वी शताब्दी में भूगोल में वैज्ञानिकता का विकास होने लगा भूगोल का अध्ययन अब विस्तृत रुप में होने लगा पुनर्जागरण काल में जहा नये क्षेत्रों की खोज हुई तथा उनसे संबंधित वृत्तात लिखे वही 18वी शताब्दी में भूगोल में वैज्ञानिक तथ्यों का सामावेश होने लगा इसी काल में भूगोल का अन्य विज्ञानों का साथ संबंध स्थापित हुआ तथा भूगोल के एक नये स्वरुप का उदय होने लगा। इस क्रम कुछ ऐसे विद्वान हुए जिन्होने अपना अहम योगदान दिया।
फिलिप बुआचे (Buache1700-1773)- यह जर्मन भूगोलवेत्ता था इसने अपने भौगोलिक क्षेत्रों के वर्णन में प्राकृतिक सीमाओं का वर्णन किया, प्राकृतिक क्षेत्रों के रुप में जो की श्रृखलाबद्ध पर्वत श्रेणियों द्वारा अंकन होता है बुआचे ने अपने भौगोलिक कार्यो का उल्लेख अपने लेखों में किया जिसमें प्राकृतिक सीमाओं नदि, बेसिन पर्वत पठार का उल्लेख किया बुआचे का मानना था प्राकृतिक सीमाओं का निर्धारण राजनीतिक सीमाओं के बजाय प्राकृतिक प्रदेशों द्वारा किया जाना चाहिए
बुश्चिंग (Anton Busching1724-1793) - यह एक जर्मन दार्शनिक व्यक्ति था इनका मूल अध्ययन क्षेत्र रुस रहने के कारण रुस के विभिन्न भौगोलिक प्रदेशों का अध्ययन किया तथा विभिन्न प्राकृतिक प्रदेशों में विभक्त किया इनके द्वारा लिखित पुस्तक (New Erdbeschreibung)
गट्टेरेर (Johann Christoph Gatterer 1727-1799)- गट्टेरेर ने प्राकृतिक प्राकृतिक प्रदेशों की संकल्पना का अनुसरण करते हुये पृथ्वी को अनेक प्राकृतिक प्रदेशों में बांटा इन्होने अपनी पुस्तक सक्षिप्त भूगोल की रचना में प्राकृतिक प्रदेशों का वर्णन किया।
होम्मेयर (Hommeyer) -इन्होने बताया की राजनीतिक ईकाईया परिवर्तनशील होती है अतः यह बदल सकती है क्योकि यह ऐतिहासिक घटनाओं के कारण ही उत्पन्न होती है वही प्राकृतिक प्रदेशों को बदला नही जा सकता अर्थात् अपरिवर्तनशील होते है। होम्मेयर ने प्राकृतिक प्रदेशों को क्रमशः विभक्त किया स्थान, इलाका तथा नदी बेसिन में विभक्त किया। इनके द्वारा लिखित प्रमुख ग्रंथ यूरोप का शुद्ध भूगोल जिसमें पृथ्वी के प्राकृतिक प्रदेशों को विभक्त कर उनका विवरण प्रस्तुत किया।
Note- शुद्ध भूगोल विचारधारा के प्रथम प्रतिपादक अथानासियस किस्चर थे।
ज्यूने- ज्यूने नदि बसिनों को प्राकृतिक ईकाई माना तथा राजनीतिक ईकाई को अस्वीकार कर दिया।
फॉर्स्टर बंधु
महान जर्मन भूगोलवेत्ता रीनहाल्ड फॉर्स्टर को प्रथम विधितंत्रीय (Methodological) भूगोलवेत्ता कहा जाता है
भूगोल में दार्शनिक विचारधारा
भूगोल में दार्शनिक विचारधारा का मूल क्षेत्र जर्मनी रहा उस समय स्पनोजा नामक विद्वान का दर्शन जर्मनी में काफी चर्चा में रहा जिनका दर्शन दकार्ते नामक विद्वान की निगमनात्मक पद्धति पर आधारित था।
इमेनुअल काण्ट - भूगोल की दार्शनिक विचारधारा के विकास में काण्ट का महत्पूर्ण योगदान है भूगोल में दार्शनिक विचारधारा को गढ़ने में इनका महत्वपूर्ण रहा। काण्ट दार्शनिक विचारक होते हुए भी इन्होने भौतिक भूगोल मानव भूगोल का अध्ययन किया तथा अध्यापन भी कराया इनकी तर्कशास्त्र के अंदर गहरी रुची थी यही है की इन्होने तार्किक ढंग से भौगोलिक ज्ञान को प्राप्त को प्राथमिकता दी। काण्ट ने भूगोल को वैज्ञानिक स्वरुप देने का प्रयास किया, इसके अलावा काण्ट ने भूगोल को इतिहास से भी प्राचीन माना इनका मानना है की भूगोल सभी कालों में रहा जबकि इतिहास तो मानव जाति के उदभव के साथ विकसीत हुआ है, काण्ट ने कहा निन्तर भूगोल है इतिहास कुछ भी नही है, परंतु काण्ट ने भौगोलिक कार्यो में इतिहास की महत्ता को भी स्वीकार किया तथ कहा कि बिना इतिहास के भूगोल कार्य अधूरा है।
काण्ट ने भूगोल को निम्न रुपों में विभक्त किया-
- भौतिक भूगोल (Physical Geography)
- गणितीय भूगोल (Mathematical Geography)
- राजनीतिक भूगोल (Moral Geography)
- व्यापारिक भूगोल (Political Geography)
- धर्म या अध्यात्म भूगोल (Commercial or Mercantile Geography)
प्रमुख जर्मन भूगोलवेत्ता
(1) रिचथोपन (Richthofen 1833-1905)रिचथोपन के ग्रंथ-
1. चीन का भूगोल
2. चीन का मानचित्र
3. आर्थिक एंव खनिज भूगोल
4.स्थालाकृतिक विज्ञान
5. प्रादेशिक भूगोल को कोरोलॉजी कहा।
सर्वप्रथम फियोर्ड तट तथा रिया तट के मध्य अंतर स्पष्ट किया।
(2) अल्फ्रेड हेटनर (Alfred Hetner 1859-1941)
प्रमुख पुस्तक
1. भूगोल का विधि तंत्र
2. यूरोप का प्रादेशिक भूगोल
4 रुस का भूगोल
(3) अल्ब्रेच्ट पेंक (Walther Penck 1858-1945)
प्रमुख पुस्तक-
1. हिमयुग में आल्पस
महान भू-आकृतिक वैज्ञानिक
(4) वाल्टर पेंक (Walther Penck 1888-1923)
डेविस के अपरदन चक्र की आलोचना
पेंक ने अपरदन चक्र की पॉच दशाएँ बताई।
Best content sir
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