आज दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश हो जिसके एजेंडे में एफडीआई अर्थात् प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment FDI) का जिक्र न हो, इसका सीधा मतलब यही है की जिस देश में जितना ज्यादा विदेशी निवेश होता है उस देश की आर्थिक विकास दर को उतनी ही गति मिलेगी, क्योकि इसमें पुॅजी का प्रवाह बड़े स्तर पर होता है जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है, रोजगार के नये अवसर प्राप्त होते है नवीन टेक्नोलॉजी के आने से तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में वृद्धि होती है। अब हम विस्तार से एफडीआई के बारे मे निम्न बिंदुओ के माध्यम से समझने का प्रयास करते है-एफडीआई क्या है, एफडीआई के लाभ, एफडीआई केनुकसान, एफडीआई की राह में प्रमुख बाधाऐ आदि के बारे में चर्चा करेगे।
FDI क्या है।
जब कोई व्यक्ति या कंपनी किसी दुसरे देश में अपनी पुॅजी निवेश करती है तो इसे एफडीआई अर्थात् प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment FDI) कहा जाता है। इसकी एक सामान्य शर्त आईएमएफ (IMF) के अनुसार यह है की व्यक्ति या कंपनी को किसी दुसरी कंपनी के कम से कम 10 प्रतिशत शेयर खरीदने होते है तभी उसे एफडीआई का दर्जा प्राप्त होता है।
FDI के फायदे-
एफडीआई के अनेक फायदे या लाभ है, तभी तो हर देश एफडीआई अथवा निवेशको को आर्कषित करने का प्रयास करता है, चाहे वह विकासशील हो, या विकसीत देश ही क्यो न हो। तो अब सबसे पहले एफडीआई के फायदों की चर्चा कर लेते है।
जब कोई व्यक्ति या कंपनी किसी दूसरे देश में निवेश करती है तो वह अपने साथ बहुत सारी नवीनतम तकनीक/टेक्नोलॉजी का प्रयोग करती है जिससे उस देश में नई तकनीकी या प्रौघेगिकी विकास होने का अवसर प्राप्त होता है, देश मे रोजगार के नये अवसर कायम होती बड़े स्तर पर पुजी निवेश होने पर विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है साथ ही साथ देश के उत्पादन में बड़े स्तर पर वृद्धि होती है तो महगाई में कमी होती जाती है जिससे आम जनता का सरकार पर भरोसा कायम होता है, इसके अतिरिक्त वैश्विक स्तर पर अच्छी साख बनकर उभरती है तथा निर्यात में वृद्धि होने से घरेलू उधोग धंधों को बढावा मिलता है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होती है तथा देश की जीडीपी में वृद्धि होती होती जिससे अर्थव्यस्था में सुदृढ़ होती है।
FDI के नुकसान-
अभी हमने एफडीआई के फायदे या लाभ के बारे में चर्चा कि अब हम बात करके एफडीआर्ह के नुकसान के बारे में चर्चा करके और यह समझने का प्रयास करके की एफडीआई, एक देश के लिए किस प्रकार नुकसानदायक भी हो सकती है।
जिस प्रकार एफडीआई के फायदे उस प्रकार एफडीआई के नुकसान भी क्योकि कोई कंपनी जब अपना प्लान्ट या इंडस्ट्री स्थापित करती है तो उसे बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होती अत वहा निवासित लोगो को पलायन करने का सामना करना पड़ता है
बड़े स्तर पर अधिक से अधिक पुंजी प्राप्त करने के लिए बड़े स्तर प्राकृतिक संसाधनो का दोहन किया जाता है।
एफडीआई से छोटे उधमियों दुकानदारों, व्यापारियो व घरेलु उधोगो को काफी नुकसान पहुचता है क्योकि विदेशी कंपनीया कम लागत पर अच्छा उत्पादन कर लेती है जिससे देश की आतंरिक, आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ जाती है, तथा देश का घरेलू बाजार कमजोर पड़ जाता है।
अधिक मुनाफा कमाने के लिए कंपनीया एफडीआई से संबधित अधिक मुनाफा कमाने के लिए कंपनीया एफडीआई से संबधित फेदबदल करवा लेती है, तथा श्रमिको से संबधित कानूनों में बड़े स्तर पर बदलाव की मांग करती है जिससे श्रमिको का शोषण किया जा सके। भारत सहित कई विकासशील देशों ने श्रमिको कानूनो में बदलाव कर उन्हे अधिक लचीला बना दिया गया है।अधिक मुनाफा कमाने के लिए कंपनीया एफडीआई से संबधित फेदबदल करवा लेती है, तथा श्रमिको से संबधित कानूनों में बड़े स्तर पर बदलाव की मांग करती है जिससे श्रमिको का शोषण किया जा सके। भारत सहित कई विकासशील देशों ने श्रमिको कानूनो में बदलाव कर उन्हे अधिक लचीला बना दिया गया है। कानूनों में फेदबदल करवा लेती है, तथा श्रमिको से संबधित कानूनों में बड़े स्तर पर बदलाव की मांग करती है जिससे श्रमिको का शोषण किया जा सके। भारत सहित कई विकासशील देशों ने श्रमिको कानूनो में बदलाव कर उन्हे अधिक लचीला बना दिया है।
FDI की राह में प्रमुख बाधाऐ
हमने एफडीआई के फायदों व नुकसान के बारे में चर्चा की अब हमारे लिए यह जानना भी बेहद जरुरी है की एफडीआई की राह में क्या-क्या बाधाएं है। इस बात का उल्लेख इसलिए भी जरुरी हो जाता है क्योकि जब कोई कंपनी किसी दुसरे देश में पुॅजी का निवेश करती है तो उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जब कोई कंपनी अपना उधोग या कारखाना स्थापित करती है, वह उस जगह स्थापित करने का प्रयास करती है जहा से बाजार की समीपता हो ताकी उत्पादित माल को कम लागत पर बाजार तक आसानी से पहुचाया जा सके। परंतु उघोग स्थापित करने के लिए ज्यादा जगह या जमीन की आवश्यकता होती है अतं उस क्षेत्र के स्थानिय लोग अपनी जमीन हड़पने के डर से कंपनी का विरोध कर देते है। और ऐसे विरोध की घटनाऐ भारत में कई बार सामने आती है।
सरकार के द्वारा उदारीकरण की नीति में कम छुट देना एफडीआई की राह में सबसे बड़ी बाधा मानी जाती है। स्पष्ट शब्दों में देखा जाये तो उदारीकरण की नीति का मतलब यह होता है की किसी भी कंपनी के सामने किसी भी प्रकार की कोई बाधा न आये वह बिना किसी बाधा के पुॅजी का प्रत्यक्ष निवेश करे।
Gratitude for the excellent insight. Visit Vakilsearch site to know know about FDI in India
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